मां गंगा की अनोखी सफर उत्तराखंड के चार धाम यात्रा

 तीर्थ और पर्यटन का दिव्य आनंद हैं, तीर्थाटन, जहां प्राकृतिक और परमात्मा से एकाकार हो जाता हैं मन।

ऐसी ही यात्रा हैं चारधाम की , जिसे सही ढंग से योजना बद्ध तरीके से बना सकते ।

जीवन का आविस्मरणी अवसर।प्रकृति की गोद में देवदर्शन लोक संस्कृति की समझ और स्थानीय भोजन का स्वाद, ।

हिमालय के गोद में बसे उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के अनेक रंग हैं।

यह यात्रा आध्यात्म की अनुभूति तो कराती हैं, प्राकृतिक और संस्कृति से अपनापन भी जोड़ती हैं।

ऊंचे ऊंचे पहाड़ हरियाली से लकदक जंगल, हिमाच्छछादित चोटियां, खूबसूरत नौल, ताल और बुग्याल, अथाह जल राशि लिए, गहरी सरपा कार घाटियों से आगे बढ़ती नदियां,मंद मंद बहती शीतल पवन और लोकजीवन की मनोहारी झाकियां इस यात्रा को और भी रसमय बना देती है।

पहाड़ी झरनों के शीतल निर्मल जल को पी लेने मात्र से रस्तेभर की थकान दूर हो जाती।

इस यात्रा का पहला पड़ाव हैं हरिद्वार, यहीं से चार धाम की आध्यात्मिक यात्रा शुरू होती हैं।

हिमालय की कंदराओं से निकालकर गंगा यहीं सबसे पहले मैदान को स्पर्श करती हैं।

जंगल सफारी के लिए राजाजी टाइगर रिजर्व हैं।

एशियाई हाथी के लिए राजाजी टाइगर रिजर्व काफी फेमस हैं।

अन्य प्रजाति के जीव जंतु यहां बाहुल्य हैं।

विशेषकर झिलमिल झील में बारहसिंहा का दीदार करना तो अलग ही अनुभूति कराता हैं।

अब हरिद्वार से निकल कर ऋषिकेश की ओर अकाश चंद्र मिश्र जाते हुए।

जिसकी दूरी हरिद्वार से मात्र 30km हैं।

यहीं से अपनी चार धाम की यात्रा की विधिवत शुरुआत भी करेंगे।

ऋषिकेश में वैसे तो वीरभद्र, भरत, स्वगारश्रम ,

गीता भवन, त्रिवेनीघाट, राम लक्ष्मण झूला जैसे आध्यात्मिक आनंद अनुभूति आत्मिक हैं।

लेकिन इनमे खास हैं , महर्षि महेश योगी ने वर्ष 1960 में स्वर्गाश्रम के पास वन विभाग से 15 एकड़ भूमि लीज लेकर वहां अदभुत 84 छोटी छोटी कूटिया का निर्माण करवाया साथ 100 से ज्यादा गुफा का निर्माण करवाया।

आगे अब अकाश चंद्र मिश्रा जा रहे हैं यमनोत्री धाम की ओर, हमारी यात्रा का पहला पड़ाव हैं उत्तरकाशी जिले में स्थित बड़कोट कस्बा, ऋषिकेश से यहां पहुंचने में हमे 169 km की दूरी तय करनी पड़ेगी।

बीच में चंबा और धरासू आते हैं।

जबकि देहरादून होते हुए 130 km हैं। मसूरी होते हुए।

 फिर उत्तर काशी जो गंगोत्री धाम से 100km दूर हैं, 

गंगोत्री से 33 km दूर मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवां गांव हैं। और मुखवां के पास हैं मारकंडे पूरी।

यहां से 9 km दूर जाहवी और भगरथी नदी के संगम पर भैरों घाटी, 20किलोमीटर दूर हर्षिल कस्बे,14 km दूर केदारतल्ल, 25km दूर नंदवन, 9km दूर चिड़बासा, 14km दूर भोजबासा, आदि मनोरम स्थलों की सैर भी कर सकते हैं। नंद वन से वापस लौटने का मन नहीं करेगा।

गंगोत्री धाम से 12km पहले लंका बहुत ही ज्यादा अपने लकड़ी का सीढ़ीनुमा मार्ग के लिए फेमस हैं।

अब बढ़ते हैं तीसरे पड़ाव केदारनाथ धाम की ओर,

इसके लिए आपको गौरीकुंड पहुंचना होगा,

यहां से केदारनाथ तक 16km का पैदल ट्रेक हैं, आप ट्रैकिंग के शौखीन हैंतो यहां से 3km par चौड़ा बारी की सैर कर सकते।

केदारनाथ से लौटते वक्त आप त्रियुगीन नारायण की सैर आपकी यात्रा को यादगार बना देगा।🌎

केदारनाथ पहुंच कर अगर आप भैरब बाबा का दर्शन नहीं किए तो क्या किया।

ध्यान साधना के लिए केदारनाथ मंदिर से 800km दूर मंदाकिनी नदी के दूसरी ओर दुग्धगंगा के पास पहाड़ी पर स्थित रुद्र गुफा स्वागत को तैयार हैं।

यहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी ध्यान लगाया था।

यहां गुप्तकाशी, उखीमठ, पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर धाम, 

केदार नाथ और द्वितीय केदार भगवन मध्मेश्वर की शीतकालीन पूजा यहां होती हैं।

उखीमठ से 48 km की दूरी पर स्थित मिनी Switzerland नाम से मशहूर चोपता की सैर भी कर लीजिए। 

चोपता अपनी खूबसूरती के साथ पंचकेदार में सबसे ऊंचे शिव मंदिर तृतीय केदार तुंगनाथ धाम और चंद्रशिला ट्रेक के लिए भी  प्रसिद्ध हैं।

यहां के अभियारण में कस्तूरी मृग का दर्शन कर सकते।

अब यात्रा को हम अंतिम चरण में रखते हुए बद्रीनाथ की तरफ बढ़ते हैं।

जो जोशीमठ से 45km हैं, जोशीमठ अपने आप में एक खूबसूरत पर्यटक स्थल हैं।

यहां से मात्र 14km दूर विश्वप्रसिद्ध स्कीइंग स्थल ओली को आप देख सकते।

जोशीमठ से। ओली जाने के लिए 4.5km का रोपवे हैं।

यहां से 4km ऊपर गैरसो जाना न भूले।

बद्रीनाथ धाम के पास नंदा देवी का मायका बामनी गांव हैं।

यहां देवी उर्वशी और भगवान नारायण की जन्म स्थली लीलाढूंगी के दर्शन यादगार बना देंगे।

बद्रीनाथ से तीन km दूर चीन सीमा के पास देश का प्रथम गांव माना बसा हैं ।

इस खूबसूरत गांव में भूटिया जनजाति के लोग रहते हैं।

माना गांव में महाभारतकालीन पुल भी मौजूद हैं।

जिसे भीम पूल कहते हैं।

रास्ते में सरस्वती नदी पार करने के लिए भीम से यह पत्थर रखा था।

इसी गांव में भगवान गणेश ने एक गुफा में महर्षि वेदव्यास से सुन कर महाभारत का लेखन किया था।

माना गांव के उत्तर में गणेश गुफा हैं, 200मीटरकी दूरी पर व्यास गुफा, ओर बद्रीनाथ से एक km दूर नारायण पर्वत पर भृगु गुफा मौजूद हैं।

गांव से 8 km दूर 122 मीटर ऊंचा जल प्रपात बासुधारा हैं , 

चारधाम यात्रा मार्ग पर पढ़ने वाले अधिकांश तीर्थ व पर्यटन स्थल 7से 12 फीट ऊंचाई पर स्थित हैं।

इधर कभी भी वर्षा या वार्फबारी होने लगती हैं।

प्रयावरण की बहाली और वन्य जीवों की रक्षा के लिए मनुष्य को प्राकृतिक के साथ अपने बिगड़ते रिश्तों को सुधारने की जरूरत हैं।

 




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