भारत का संविधान

 भारत का संविधान सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान हैं,

हम स्वतंत्रता के बाद विचारधार की आधारभूत सिद्धांत को स्वीकार करते हैं, और समाजवाद धर्मनिरपेक्षता, समानता और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए समर्पित हैं।

एक मजबूत और एकीकृत देश का निर्माण करने के लिए हमे संविधान की जरूरत होती हैं।

भारत का संविधान भारत का सर्वोच्च विधान हैं, जो संविधान सभा द्वारा २६ नवंबर १९४९ को पारित किया तथा २६जनवरी १९५० से प्रभावी हुआ।

बाबा भीमराव अंबेडकर जी को संविधान का जनक कहा जाता हैं।

भारत का संविधान सभा जुलाई १९४६ में निर्वाचन हुआ,

संविधान सभा का पहला बैठक दिसंबर १९४६ को हुआ, इसके तत्काल बाद देश दो भाग में बट गया था, भारत और पाकिस्तान।

भारत का संविधान भी दो भागों में बट गया, भारत संविधान सभा और पाकिस्तान संविधान सभा।

वर्तमान में ४७० अनुच्छेद तथा १२ अनुसूचिया हैं। और ये २५ भागों में विभाजित हैं।

प्रतेक राज्य में एक विधान सभा हैं तथा उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, और तेलंगाना, में एक ऊपरी सदन हैं।

जिसे विधान परिषद कहते हैं।

राज्यपाल राज्य का प्रमुख हैं, मंत्रिपरिषद का प्रमुख मुख्यमंत्री होगा, राज्य की मंत्रिपरिषद राज्य की विधान सभा के प्रति उत्तरदायि हैं।

संघ और उसके क्षेत्र

नागरिकता

मूलभूत अधिकार

राज्य के नीति निदेशक तत्व

मूल कर्तव्य 

संघ

राज्य

संविधान अधिनियम १९५६ द्वारा निरसित

संघ और राज्य क्षेत्र

पंचायत

नगरपालिकाए

अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र

संघ और राज्यों के बीच संबंध

वित्त संपत्ति संविदय और वाद।

भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार वाणिज्य और समागमन

संघ राज्य के अधीन सेवाए

अधिकरण

निर्वाचन

कुछ वर्ग के लिए विशेष उपबंध संबंध

राजभाषा

आपात उपबंध

प्रकीर्ण

संविधान के संशोधन

अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध।

संक्षिप्त नाम प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन।

१०५ संशोधन तथा ५ अनुलग्नक appendices

अब तक १२७ संविधन संशोधन विधेयक अब तक लाए गए हैं, 

वस्तु एवम सेवा कर GST १०१वा संशोधन हैं।

संप्रभुता शब्द का अर्थ हैं सर्वोच्च या स्वतंत्र रहना।

समाजवादी शब्द संविधान के १९७६ में हुए ४२वा संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया, जाती , रंग, लिंग, धर्म, या भाषा।

पंथ निरपेक्ष शब्द संविधान के १९७५ में हुए ४२वा संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया।




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